विद्युत चालक तथा अचालक पदार्थ
किसी परिपथ मे आवेश प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते है। इसका मात्रक एम्पियर है। यदि किसी परिपथ में किसी परिपथ में एक एम्पियर की धारा बहती है तो प्रवाहित इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6.25x1018 होगी। धारा दो प्रकार की होती है।
दिष्ट धारा-यह एक ही दिशा में प्रवाहित होती है। प्रत्यावर्ती धारा—यह धारा परिमाण तथा दिशा में समय के साथ परिवर्तित होती है। विद्युत लेपन (Electro plating) जिस धातु पर परत चढ़ानी होती है उसका कैथोड और जिस धातु की परत् चढ़ानी है। उसका एनोड बनाया जाता है। इस क्रिया में प्राय सोना, चांदी, तांबा धातु को लिया जाता है।
विद्युत चालक - वे पदार्थ जिनमें विद्युत धारा का प्रवाह आसानी से हो जाता है, चालक पदार्थ कहलाते है । चालको मे मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या अधिक होती है । इनका प्रयोग विद्युत धारा के प्रवाहन एवं विद्युत चलित उपकरणों के निर्माण में जैसे - चांदी, तांबा, एल्युमीनियम आदि ।
अच्छे सुचालक के गुण - 1. चालक का प्रतिरोध बहुत कम होना चाहिए ।
2. चालक सस्ता तथा सरलता से उपलब्ध होना चाहिए ।
3. चालक मजबूत होना चाहिए ।
अचालक पदार्थ - वे पदार्थ जिनमें विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है, अचालक पदार्थ कहलाते हैं तथा इनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं (न के बराबर) होते है । इनका प्रयोग - चालक तारों के आवरण के लिए, विद्युतरोधी वस्तुओं के निर्माण में । जैसे - रबर, प्लास्टिक, कांच आदि ।
कुचालक के गुण - 1. प्रतिरोध उच्च होना चाहिए ।
2. सस्ता एवं सरलता से उपलब्ध होना चाहिए ।
3. कुचालक पदार्थ मजबूत और जलरोधी होना चाहिए ।
अर्द्धचालक पदार्थ - वे पदार्थ जिनमें सामान्य परिस्थितियों मे विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती परन्तु तापमान बढ़ाने या अशुद्धि मिलाने पर इनकी चालकता बढ़ जाती है और इनमे से धारा प्रवाहित होने लगती है, ऐसे पदार्थ अर्द्धचालक कहलाते हैं । इनका प्रतिरोध चालक पदार्थ से अधिक लेकिन अचालक पदार्थ से कम होता है, इनमें कम मात्रा में मुक्त इलेक्ट्रॉन पाये जाते है । इनका प्रयोग - इलेक्ट्रॉनिक युक्ति जैसे डायोड, ट्रांजिस्टर, LED आदि के निर्माण में । जैसे - सिलिकॉन तथा जर्मेनियम
- विद्युत धारा है - अदिश राशि
- कौन-सा विद्युत यंत्र उच्च ए.सी. वोल्टेज (AC) को निम्न ए.सी. वोल्टेज में एवं निम्न ए.सी. वोल्टेज को उच्च ए.सी. वोल्टेज में बदल देता है – ट्रासफार्मर
- जिन पदार्थों से होकर आवेश का प्रवाह नहीं होता है, उन्हे कहते है – अचालक
- ताप बढ़ाने पर चालक पदार्थों का विद्युत प्रतिरोध हो जलाता है - बढ़ जाता है
- अर्द्धचालक पदार्थ की विद्युत चालकता ताप के बढ़ती है तथा ताप के घट्ने पर घटती है।
- विद्युत प्रतिरोध और विद्युत चालकता में उल्टा सम्बन्ध है।
- अर्द्धचालक पदार्थों में अशुद्धियाँ मिलाने पर भी उसकी विद्युत चालकता बढ़ जाती है।
- गैल्वेनोमीटर के द्वारा पता लगाया जाता है। - विद्युत धारा का
- हीटर का तार बना होता है -नाइक्रोम का
- ट्रान्सफार्मर में किस धारा का प्रयोग होता है? -केवल प्रत्यावर्ती धारा
- शुष्क सेल (Dry cell) में एनोड का कार्य करती है। - कार्बन की छड़
- शुष्क सेल (Dry cell) है - प्रथामिक सेल
- घरों में लगे बल्ब, ट्यूब लाइट, पंखे अर्शद किसी क्रम में लगे होते है - समान्तर क्रम में
- ट्रॉन्सफार्मर का कार्य होता है। - वोल्टेज का कम या अधिक करना।
- फ्यूज तार की विशेषता है - कम गलनांक एवं उच्चप्रतिरोध
- प्रत्यावर्ती धारा (AC) को दिष्ट धारा (DC) में बदला जाता है - दिष्टकारी द्वारा
- आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध होता है - अनन्त
- घरों में दी जाने वाली विद्युत धारा की आवृत्ति होती है - 50
- हर्ट्ज विद्युत प्रेस में तार होता है - नाइक्रोम का
- डायनमों किस सिद्धान्त पर कार्य करता है - विद्युत चुम्बकीय प्रेरण
- यदि 1000 वॉट के विद्युत बल्ब को 1 घंटा जलाया जाए तो कितनी यूनिट विद्युत खर्च होगी -1. यूनिट
- शुष्क सेल का कैथोड होता है - जस्ता का
- तड़ित चालक बना होता है - तांबे का
- फ्यूज तार किसका बना होता है - तांबे, टिन व सीसा की मिश्र धातु का
- 1 किलोवाट घण्टा में कितने जूल होते है - 3-6 x 10° जूल
- जिन पदार्थों से होकर आवेश का प्रवाह सरलता से होता है, उन्हें कहते है -चालक
- चालक पदार्थों का उदाहरण है। लगभग सभी धातुएँ, अम्ल, क्षार, लवणे के
- जलीय विलयन, मानव शरीर, जल आदि। अचालक पदार्थों के उदहारण है - रबर, कागज, लकड़ी अभ्रक, शुद्ध जल आदि।
- वे पदार्थ जिनकी वैद्युत चालकता चालक एवं अचालक पदार्थों के बीच की होती है, कहलाते है - अर्द्धचालक
- अर्द्धचालक के उदाहरण है - जर्मेनियम, सिलिकॉन्
- ताप घटाने पर चालक पदार्थों का विद्युत प्रतिरोध हो जाता है -घट जाता है।
- विद्युत बल्ब का तन्तु शून्य ताप पर अर्द्धचालक पदार्थ किसकी भांति व्यवहार करता है। -आदर्श अचालक की भांति
- विपरीत आवेश के बीच कैसा बल लगेगा - आकर्षण बल
- समान आवेशों के बीच कैसा बल लगेगा - प्रतिकर्षण बल
- अधिक वॉट के बल्ब का प्रतिरोध होता है - कम
- विद्युत लेपन (Electroplating) के लिए किस धारा का प्रयोग होता है -दिष्ट धारा
- विद्युत फ्यूज परिपथ के साथ किस क्रम में जोड़ा जाता है - श्रेणी क्रम में
- गैल्वेनोमीटर को वोल्टमीटर में बदल जाता है - गैल्वोनोमीटर के श्रेणी क्रम में उच्च प्रतिरोध का तार लगाकर
- गैल्वोमीटर को अमीटर में बदला जाता है। चालको (Conductors) का ताप घटाने पर विद्युत चालकता हो जाती है। -अधिक
- ट्यूब लाइट में भारी होती है - पारे की वाष्प व आर्गन गैसे
- बिजली की खपत का बिल किसके मापन पर आधरित होता है। - वाटेज
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